Thursday, 29 March 2012

कम्युनिस्टों का राजनीतिक विकल्प बनने पर जोर


democratic left alliance to work together

पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [भाकपा] के महाधिवेशन के खुले सत्र में बुधवार को पांच बड़े वामपंथी दलों का शीर्ष नेतृत्व एक मंच पर जुटा। सभी ने कांग्रेस, भाजपा की गिरती साख और उनके कमजोर होने का हवाला देते हुए विकल्प बनने के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों की एकजुटता पर बल दिया। इस दौरान भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव एबी ब‌र्द्धन के नेतृत्व में वाम एकता का मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया गया।
खुले सत्र का उद्घाटन भाकपा महासचिव ब‌र्द्धन ने किया। जबकि माकपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश करात, भाकपा [माले] के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, फारवर्ड ब्लाक के राष्ट्रीय महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के राष्ट्रीय सचिव अबनी रॉय ने एकता पर अपना-अपना नजरिया पेश किया। सभी ने वाम एकता पर यह कहते हुए सहमति जतायी-'देश हमें सही विकल्प के रूप में देख रहा है।' प्रकाश करात ने कहा कि दो दशक पहले सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्वभर में पूंजीवाद के फतह की जो गूंज उठी थी, वह खामोश हो गई है। पिछले चार सालों से पूंजीवाद संकट में है। जैसी मंदी देखी जा रही है, वैसी 1930 में भी नहीं थी। लोग अब समाजवाद को ही नव-उदारवादी पूंजीवाद के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है।

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