भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव एबी बर्धन ने कहा कि आज जो संकट हम देख रहे हैं वह महज आर्थिक संकट नहीं है। देश एक साथ सर्वव्यापक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहा है। समाज के सभी तबके आंदोलन और संघर्ष के रास्ते पर हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को जनता की कार्रवाइयों में कूदना होगा, उनके संघर्ष का हिस्सा बनना पड़ेगा और उनके संघर्ष का मार्गदर्शन एवं नेतृत्व करना होगा। पार्टी के 20 वें महाधिवेशन के बाद देश में लोकसभा चुनाव हुआ। साथ ही विधानसभा चुनावों के कई दौर हुए। हमारा प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस संबंध में राज्य स्तर पर सर्वागीण समीक्षा की जरूरत है। श्री बर्धन बृहस्पतिवार को पार्टी के 21 वें महाधिवेशन के मौके पर सुनील मुखर्जी सभागार (श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल) में राजनीतिक समीक्षा रिपोर्ट का प्रारूप प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहरों और गांवों के मेहनतकश लोगों को इन संघर्ष में लामबंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल और केरल में पराजय से समूचे वामपंथ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व्यापक चुनावी सुधारों के लिए अभियान चलाती रही है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को रोकने और महंगाई पर लगाम लगाने के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाना होगा। राजनीतिक प्रस्ताव का प्रारूप पेश करते हुए भाकपा महासचिव ने कहा कि 21 वां राष्ट्रीय महाधिवेशन ऐसे समय में हो रहा है जब देश गंभीरतम संकट का सामना कर रहा है। अर्थव्यवस्था गंभीर गिरावट का शिकार हो रही है। मुद्रास्फीति आसमान छूने लगी है। निवेश कम हो रहा है। औद्योगिक उत्पादन में इतनी गिरावट हो रही है, जितनी पहले कभी नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की एक के बाद दूसरी रिपोर्ट में दोषी ठहरायी गयी यह दागदार केंद्र सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। आम आदमी की अभूतपूर्व तकलीफों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सरकार नव उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। महाधिवेशन में राष्ट्रीय घटनाक्रम, यूपीए एक सरकार से समर्थन वापसी, 2009 में हुए लोकसभा के आम चुनाव, देश की आर्थिक नीति, परमाणु नीति, परमाणु दायित्व कानून, जन विरोध, जलवायु व पर्यावरण नीति, विदेश नीति, विधानसभा चुनाव, सांप्रदायिकता व दक्षिपंथी उग्रवाद, आतंकवाद व बम विस्फोट, महंगाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान आदि विषयों पर चर्चा की गयी। इस मौके पर भाकपा के उप महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान, डी राजा, गुरुदास दास गुप्ता,शमीम फैजी, राज्य सचिव बद्रीनारायण लाल सहित एक हजार से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने की।
Friday, 30 March 2012
राजनीतिक और आर्थिक संकट का दौर : बर्धन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव एबी बर्धन ने कहा कि आज जो संकट हम देख रहे हैं वह महज आर्थिक संकट नहीं है। देश एक साथ सर्वव्यापक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहा है। समाज के सभी तबके आंदोलन और संघर्ष के रास्ते पर हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को जनता की कार्रवाइयों में कूदना होगा, उनके संघर्ष का हिस्सा बनना पड़ेगा और उनके संघर्ष का मार्गदर्शन एवं नेतृत्व करना होगा। पार्टी के 20 वें महाधिवेशन के बाद देश में लोकसभा चुनाव हुआ। साथ ही विधानसभा चुनावों के कई दौर हुए। हमारा प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस संबंध में राज्य स्तर पर सर्वागीण समीक्षा की जरूरत है। श्री बर्धन बृहस्पतिवार को पार्टी के 21 वें महाधिवेशन के मौके पर सुनील मुखर्जी सभागार (श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल) में राजनीतिक समीक्षा रिपोर्ट का प्रारूप प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहरों और गांवों के मेहनतकश लोगों को इन संघर्ष में लामबंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल और केरल में पराजय से समूचे वामपंथ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व्यापक चुनावी सुधारों के लिए अभियान चलाती रही है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को रोकने और महंगाई पर लगाम लगाने के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाना होगा। राजनीतिक प्रस्ताव का प्रारूप पेश करते हुए भाकपा महासचिव ने कहा कि 21 वां राष्ट्रीय महाधिवेशन ऐसे समय में हो रहा है जब देश गंभीरतम संकट का सामना कर रहा है। अर्थव्यवस्था गंभीर गिरावट का शिकार हो रही है। मुद्रास्फीति आसमान छूने लगी है। निवेश कम हो रहा है। औद्योगिक उत्पादन में इतनी गिरावट हो रही है, जितनी पहले कभी नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की एक के बाद दूसरी रिपोर्ट में दोषी ठहरायी गयी यह दागदार केंद्र सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। आम आदमी की अभूतपूर्व तकलीफों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सरकार नव उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। महाधिवेशन में राष्ट्रीय घटनाक्रम, यूपीए एक सरकार से समर्थन वापसी, 2009 में हुए लोकसभा के आम चुनाव, देश की आर्थिक नीति, परमाणु नीति, परमाणु दायित्व कानून, जन विरोध, जलवायु व पर्यावरण नीति, विदेश नीति, विधानसभा चुनाव, सांप्रदायिकता व दक्षिपंथी उग्रवाद, आतंकवाद व बम विस्फोट, महंगाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान आदि विषयों पर चर्चा की गयी। इस मौके पर भाकपा के उप महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान, डी राजा, गुरुदास दास गुप्ता,शमीम फैजी, राज्य सचिव बद्रीनारायण लाल सहित एक हजार से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने की।
Posted by Randhir Singh Suman at 8:52 pm
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