Saturday, 21 April 2018

फ्रेड्रिक एंजिल्स

“अपने दोस्त कार्ल मार्क्स के बाद फ्रेड्रिक एंजिल्स पूरी सभ्य दुनिया में आधुनिक सर्वहारा में सबसे बड़े विद्वान और अध्यापक थे”। ऐसा कहना था आधुनिक युग के एक अन्य महापुरूष और महान क्रान्तिकारी व्लादिमीर लेनिन का। मार्क्स और एंजिल्स ने ही सबसे पहले समाजवाद की व्याख्या की और बताया कि यह कोई सपना नहीं बल्कि आधुनिक समाज में उत्पादक शक्तियों के विकास का अंतिम लक्ष्य और आवश्यक परिणाम है। ऐसे महान क्रान्तिकारी और समाजवादी दार्शनिक फ्रेड्रिक एंजिल्स का जन्म 28 नवम्बर 1820 में जर्मनी के रहाइन प्रान्त में बारेन नामक स्थान पर एक टेक्सटाइल फैक्ट्री के मालिक के घर में हुआ। एंजिल्स का परिवार ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंट पंथ को मानने वाला था। ऐसे में अपने क्रान्तिकारी विचारों के चलते उनके रिश्ते घर से बहुत अच्छे नहीं थे। उनके पिता चाहते थे कि वे अपने पैतृक कारोबार को आगे बढ़ाएँ, इसीलिए उन्हें 18 साल की आयु में व्यापरिक अनुभव प्राप्त करने के लिए ब्रेमेन भेज दिया। ब्रेमेन में 30 साल के प्रवास के दौरान उदारवादी और क्रान्तिकारी कामों में उनकी रुचि बढ़ती गई। कई छोटे वामपंथी विचारकों ने उन्हें आकर्षित किया लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुए और हेजेल के दर्शन को अपना लिया। ईसाइयत के खिलाफ आक्रमक रुख ने एंजिल्स को अज्ञेयवादी से नास्तिक बना दिया लेकिन उनके क्रान्तिकारी संकल्प अभी किसी भी दिशा में जा सकते थे। 1842 में वह मोसेस हेस से मिले जिन्होंने उन्हें कम्युनिस्ट बना दिया। उन्होंने एंजिल्स को बताया कि हेलेजियन दर्शन का तार्किक नतीजा साम्यवाद है। एंजिल्स को कविता लिखने का शौक था और अब तक पत्रकारिता के मैदान में भी उन्होंने अपनी पहचान बना ली थी, हालाँकि उनके लेख फ्रेड्रिक ओसवाल्ड के छद्म नाम से कई जर्नलों और अखबारों में छपते थे। उनका मार्क्स से परिचय भी उनके लेखों के माध्यम से ही हुआ। मार्क्स से मुलाकात करने के मकसद से वे दस दिन के लिए पेरिस गए। उसके बाद दोनों क्रांतिकारी यात्रा में 1983 में मार्क्स की मृत्यु तक साथ रहे। अपने इंग्लैंड में प्रवास के दौरान वहाँ की चमक दमक वाली औद्योगिक क्रांति के पीछे अंधकार में डूबी मजदूरों की दुर्दशा पर ‘द कंडीशन आफ वर्किंग क्लास इन इंगलैंड’ नाम से शोध कार्य प्रकाशित किया। एंजिल्स ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मार्क्स के साथ मिलकर कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो और द होली फैमिली लिखा तो वहीं दास कैपिटल के दूसरे और तीसरे भाग का संपादन भी किया। उन्होंने द ओरिजिन आफ द फैमिली, प्राइवेट प्रापर्टी एंड द स्टेट, आउटकम आफ क्लासिकल जर्मन फिलासफी जैसी मशहूर किताबें लिखीं।     
       
 -मसीहुद्दीन संजरी
मो0 09455571488
लोकसंघर्ष पत्रिका अप्रैल 2018 विशेषांक में प्रकाशित

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