Saturday 21 April, 2018

सामाजिक क्रांति के जनक व्लादिमीर लेनिन


    20वीं सदी के अग्रणी रूसी राजनेता विश्व इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति थे। बोल्शेविक राजनैतिक दल के संस्थापक के रूप में वे एक सफल रूसी कम्युनिस्ट क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ और राजनैतिक सिद्धांतकार थे। व्लादिमीर लेनिन 1917 से 1924 तक सोवियत रूस की सरकार के प्रमुख थे। उनके प्रशासन के अंतर्गत, रूस और उसके बाद व्यापक सोवियत संघ रूसी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित एक-पक्ष कम्युनिस्ट राज्य बन गया। 1893 से लेनिन ने रूस के साम्यवादी विचारधारा का प्रचार करना प्रारंभ किया था। लेनिन को कई बार जेल भेजा गया था तथा निर्वासित भी किया गया। ‘प्रलिटरि’ एवं ‘इस्क्रा’ के संपादन के अतिरिक्त 1898 में उन्होंने बोल्शेविक पार्टी की स्थापना की। 1905 की क्रांति के उसके प्रयास असफल रहे किन्तु 1917 में उन्होंने रूस के पुननिर्माण की योजना बनाई और सफल हुए। उन्होंने केरेन्सकी की सरकार पलट दी और 7 नवम्बर, 1917 को लेनिन की अध्यक्षता में सोवियत सरकार की स्थापना हुई। रूस का भाग्यविधाता बनने के बाद लेनिन ने अपने देश को विकसित करने का प्रयत्न किया था। कड़े अनुशासन के साथ देश पर नियंत्रण रखा।
लेनिन रूस के इतिहास में ही नहीं विश्व इतिहास के कर्णधारों में एक अग्रणी नाम है। उन्होंने रूस की काया पलट कर के सारे विश्व को ही आश्चर्य चकित कर दिया। उन्हीं के प्रयत्नों से रूस में समाजवाद की स्थापना हुई थी। मार्क्स के स्वप्न को साकार करने का श्रेय भी लेनिन को ही जाता है। 21 जनवरी, 1924 को इस क्रांतिकारी व्यवस्थापक का स्वर्गवास हो गया लेकिन सोवियत की जनता उनको आज भी अपने साथ मानती है, उनको सँजोकर रखा है उनको अंतिम संस्कार के बजाए पिरामिड की तरह सुरक्षित रखा है। आज भी लेनिन पूरे विश्व में सभी के दिलो में बसे हुए है, उनके सिद्धांतों व आदर्शां को मानते हैं और उनके रास्ते पर चल रहे हैं। लेनिन के सिद्धांतों व आदर्शों के प्रशंसकों की सम्पूर्ण विश्व में कमी नहीं है, अभी भी व्लादिमीर लेनिन सामाजिक क्रांति के प्रेरक है।
    मॉस्को के रेड स्क्वायर में रखा व्लादिमीर लेनिन का पार्थिव शरीर आज भी विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
     व्लादिमीर इल्यीच उल्यानोव (लेनिन) का जन्म 10 अप्रैल, 1870 में उल्यानोव्स्क नगर में हुआ था, यह नगर बोल्वा नदी के तट पर स्थित है। लेनिन 6 भाई बहन थे, इनके पिता का नाम इल्या निकोलायेविन और माता मरीया अलेक्सान्द्रोवना था। लेनिन बचपन से ही बहुत ही होनहार, मजाकिया, खुशमिजाज और साहसी थे। उन्हें तैराकी, स्केटिंग और जोशीले गेम बहुत प्रिय थे इसके अलावा दोस्तों के साथ दूर-दूर तक घूमना फिरना बहुत अच्छा लगता था। पढ़ाई के साथ ही रूस के प्रमुख स्थानों का भ्रमण कर चुके थे। लेनिन ने पाँच वर्ष की उम्र में पढ़ना-लिखना सीख लिया था, नौ साल की उम्र में हाई स्कूल में एडमीशन ले लिया था और 21 साल की अवस्था में कानून की डिग्री प्राप्त कर ली थी। वह बड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते थे इस कारण उन्हें हर साल योग्य छात्र होने का अवार्ड भी मिलता था वे अपने सहपाठियो की पढ़ाई लिखाई में हमेशा हेल्प करते थे। उन्हें बचपन से बहुत ज्ञान पिपासा थी, रूस के सभी महान लेखकों की किताबें और रचनाओं को लगातार अध्ययन करते रहते थे। प्रगतिशील रूसी साहित्य के अध्ययन और आस-पास के वातावरण का युवा लेनिन के चरित्र और विचारों के निर्माण पर बहुत प्रभाव पड़ा लेनिन का मन वकालत में नहीं लगता था, बहुत कम समय समारा की जिला कचहरी में देते थे, वे मुख्यतयः गरीब किसानो की ओर से ही अदालत में पेश होते थे उनका सारा समय और बल तो मार्क्सवाद के अध्ययन में लगा रहता और सर्वहारा मेहनतकश वर्ग की भलाई में रहता। लेनिन ने 1892 में मार्क्स और एंगेल की कृतियों के अध्ययन और प्रचार के लिए समारा में प्रथम मार्क्सवादी मंडल संगठित किया और क्रातिकारी विचार रखने वाले युवाओं को मंडल का सदस्य बनाया। 23 साल की उम्र में लेनिन में सरलता, सहृदयता, खुशमिजाजी और विनोद प्रियता तथा स्थिरता, अच्छा ज्ञान, कठोर तार्किक कर्मठता और स्पष्ट विचार अभिव्यक्ति की क्षमता का अद्भुत मिलाप था, लोग उनके भाषण सुनकर फॉलो करने लगते और उनके साथ जुड़कर क्रांति के लिए समर्पित हो जाते।
-डॉ. बाल गोविन्द वर्मा
मोबाइल : 7860778767
लोकसंघर्ष पत्रिका अप्रैल 2018 विशेषांक में प्रकाशित

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