Saturday 31 March, 2012

सुधाकर रेड्डी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नए जनरल सेक्रेटरी

पटना  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी    की केंद्रीय परिषद ने ए. बी. वर्द्धन के स्थान पर एस. सुधाकर रेड्डी को अपना नया जनरल सेक्रेटरी मनोनीत किया है।

पटना में गत 27 मार्च से चल रहे सीपीआई के 21वें नैशनल कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन शनिवार को सीपीआई की केंद्रीय परिषद ने वर्द्धन के स्थान पर एस. सुधाकर रेड्डी को अपना नया जनरल सेक्रेटरी मनोनीत किया। सीपीआई के नए जनरल सेक्रेटरी चुने जाने के बाद रेड्डी ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह उसे निभाने की पूरी कोशिश करेंगे।

वर्द्धन को एक बड़ा और कद्दावर नेता बताते हुए रेड्डी ने कहा कि वह उनके साथ-साथ पार्टी के अन्य सहयोगियों के मार्गदर्शन में पार्टी के इस नैशनल कॉन्फ्रेंस में लिए गए निर्णयों को अमल में लाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी वरीयताओं में हिंदी भाषी इलाकों में पार्टी को और अधिक मजबूत करने के साथ-साथ जन समस्याओं जैसे जल, जंगल और जमीन तथा कामगारों की समस्याओं के निदान और उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर आंदोलन छेड़ना शामिल है। रेड्डी ने कहा कि देश के हिंदी भाषी इलाकों में जातीय और धार्मिक समस्याओं को लेकर लोगों के बीच चेतना की जरूरत है और इसके लिए पार्टी स्तर पर राजनीतिक और वैचारिक तौर पर काम किया जाएगा।

भाकपा अपने कार्यक्रमों में आज लाएगी ऐतिहासिक बदलाव

पटना : देश एवं दुनिया की मौजूदा राजनीतिक-आर्थिक स्थिति के मद्देनजर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) अपने कार्यक्रमों में ऐतिहासिक बदलाव लाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एबी बर्धन ने इसका मसौदा तैयार किया है जिसे 21वें महाधिवेशन के अंतिम दिन शनिवार को मंजूरी दी जाएगी। शनिवार को ही पार्टी के नए राष्ट्रीय महासचिव की घोषणा की जाएगी। महाधिवेशन में पश्चिम बंगाल के संबंध में अलग से एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि वहां आपातकाल जैसी स्थिति है। अन्य दलों की तरह पार्टी में अध्यक्ष का पद सृजित करने पर भी बहस हो रही है।
सूत्रों ने बताया कि नए कार्यक्रमों में कारपोरेट एवं निजी क्षेत्रों में दखलअंदाजी बढ़ाने एवं युवाओं को पार्टी से जोड़ने के प्रयास प्रमुख हैं। पार्टी का कहना है कि भारी-भरकम वेतनों के साथ लंबे कार्य घंटों ने युवाओं के एक ऐसे तबके को खड़ा कर दिया है जिनका कोई सामाजिक सरोकार नहीं है। समाज को एनजीओ और तथाकथित सिविल सोसायटी ग्रुपों के हाथों में अब और अधिक नहीं छोड़ा जा सकता।
महाधिवेशन में जारी बहस की जानकारी देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी और अतुल कुमार अंजान ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1992 में हुए महाधिवेशन में पार्टी के कार्यक्रम तय किए गए थे, जो आज की परिस्थिति में बहुत प्रभावी नहीं रह गये हैं। वर्तमान राजनीतिक-आर्थिक पृष्ठभूमि में नए धारदार कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इनकी शनिवार को घोषणा की जाएगी। पश्चिम बंगाल के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछले दस माह में भाकपा एवं माकपा के 35 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। भाकपा के दस से अधिक कार्यालयों पर कब्जा किया गया है। यह तय किया जा रहा है कि लोग क्यों पढ़ें, क्या नहीं। ममता बनर्जी के पक्ष में मुखर रहने वाली महाश्वेता देवी भी अभी पश्चिम बंगाल सरकार की कड़े शब्दों में निंदा कर रही हैं। वहां भाकपा अपना जनांदोलन तेज करेगी। उप-महासचिव सुधाकर रेड्डी को नया महासचिव बनाने संबंधी प्रश्न पर श्री अंजान ने कहा कि तत्कालीन महासचिव इंद्रजीत गुप्ता जब गृह मंत्री बने थे, तब उप महासचिव एबी बर्धन को महासचिव बनाया गया था। इसी को आधार मानकर ये अटकलें लगायी जा रही हैं। नए महासचिव का शनिवार को चुनाव होगा। उन्होंने बताया कि राजनीतिक प्रस्ताव पर 300 से अधिक संशोधन एवं सुझाव आए हैं। इन पर बहस जारी है। अन्य दलों की तरह भाकपा में भी अध्यक्ष का पद सृजित करने का सुझाव भी आया है। इस पर भी बहस हो रही है। श्री फैजी ने स्पष्ट किया कि महाधिवेशन में ही पार्टी संविधान में कोई संशोधन किया जाता है, परन्तु इसके लिए प्रस्ताव दो माह पहले लिखित रूप में आने चाहिए। वाम एकता और कामन मैनिफेस्टो के संबंध में उन्होंने कहा कि एकता के लिए सभी वाम दलों में सहमति है। इस पर काम हो रहा है। कामन मैनिफेस्टो इसकी अगली कड़ी है। जनवितरण प्रणाली, पास्को आदि पर भी महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव आए हैं। इस मौके पर वरिष्ठ नेता राम बाबू कुंवर भी उपस्थित थे।

Friday 30 March, 2012

राजनीतिक और आर्थिक संकट का दौर : बर्धन



भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव एबी बर्धन ने कहा कि आज जो संकट हम देख रहे हैं वह महज आर्थिक संकट नहीं है। देश एक साथ सर्वव्यापक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहा है। समाज के सभी तबके आंदोलन और संघर्ष के रास्ते पर हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को जनता की कार्रवाइयों में कूदना होगा, उनके संघर्ष का हिस्सा बनना पड़ेगा और उनके संघर्ष का मार्गदर्शन एवं नेतृत्व करना होगा। पार्टी के 20 वें महाधिवेशन के बाद देश में लोकसभा चुनाव हुआ। साथ ही विधानसभा चुनावों के कई दौर हुए। हमारा प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस संबंध में राज्य स्तर पर सर्वागीण समीक्षा की जरूरत है। श्री बर्धन बृहस्पतिवार को पार्टी के 21 वें महाधिवेशन के मौके पर सुनील मुखर्जी सभागार (श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल) में राजनीतिक समीक्षा रिपोर्ट का प्रारूप प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहरों और गांवों के मेहनतकश लोगों को इन संघर्ष में लामबंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल और केरल में पराजय से समूचे वामपंथ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व्यापक चुनावी सुधारों के लिए अभियान चलाती रही है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को रोकने और महंगाई पर लगाम लगाने के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाना होगा। राजनीतिक प्रस्ताव का प्रारूप पेश करते हुए भाकपा महासचिव ने कहा कि 21 वां राष्ट्रीय महाधिवेशन ऐसे समय में हो रहा है जब देश गंभीरतम संकट का सामना कर रहा है। अर्थव्यवस्था गंभीर गिरावट का शिकार हो रही है। मुद्रास्फीति आसमान छूने लगी है। निवेश कम हो रहा है। औद्योगिक उत्पादन में इतनी गिरावट हो रही है, जितनी पहले कभी नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की एक के बाद दूसरी रिपोर्ट में दोषी ठहरायी गयी यह दागदार केंद्र सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। आम आदमी की अभूतपूर्व तकलीफों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सरकार नव उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। महाधिवेशन में राष्ट्रीय घटनाक्रम, यूपीए एक सरकार से समर्थन वापसी, 2009 में हुए लोकसभा के आम चुनाव, देश की आर्थिक नीति, परमाणु नीति, परमाणु दायित्व कानून, जन विरोध, जलवायु व पर्यावरण नीति, विदेश नीति, विधानसभा चुनाव, सांप्रदायिकता व दक्षिपंथी उग्रवाद, आतंकवाद व बम विस्फोट, महंगाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान आदि विषयों पर चर्चा की गयी। इस मौके पर भाकपा के उप महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान, डी राजा, गुरुदास दास गुप्ता,शमीम फैजी, राज्य सचिव बद्रीनारायण लाल सहित एक हजार से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने की।

केंद्र सरकार ले रक्षा सौदों में दलाली की जिम्मेदारी



पटना ]। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [भाकपा] ने कहा है कि देशभक्ति की आड़ में रक्षा सौदों में दलाली बंद की जाए। हर प्रकार के रक्षा सौदों को नियंत्रक एवं महालेखाकार [कैग] के दायरे में लाया जाए।
देशभक्ति एवं सुरक्षा के नाम पर इन सौदों की कैग से जांच नहीं करायी जाती और दलाली एवं भ्रष्टाचार धड़ल्ले से जारी रहता है। इस दलाली में अभी यूरोप के कई देशों के अलावा इजरायल भी सक्रिय है। सेना प्रमुख घूस आफर किए जाने की बात कर रहे हैं। पार्टी ने 21वें महाधिवेशन में कहा कि केन्द्र सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। महाधिवेशन में रक्षा सौदे, सेना प्रमुख को रिश्वत देने के अलावा आदिवासी एवं कोल माफिया से संबंधित प्रस्ताव भी राजनीति मसौदे के रूप में पेश हुए।
पत्रकारों को संवाददाता सम्मेलन में जानकारी देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शमीम फैजी और अतुल कुमार अंजान ने कहा कि ये राजनीतिक मसौदे 2014 के आम चुनाव में पार्टी के गाइडलाइन होंगे। केन्द्र सरकार ने बोफोर्स घोटाले, विन चड्डा प्रकरण, तहलका खुलासा [जार्ज फर्नाडीज का कार्यकाल] आदि से कोई सीख नहीं ली है। रक्षा सौदों में दलाली स्थायी आकार ले चुकी है। अब तो यूरोप के कई देशों के अलावा इजरायल भी इसमें शामिल है। यह हमेशा तर्क दिया जाता है कि देश की सुरक्षा का मामला है, इसे विवाद से न जोड़ा जाए। हथियार खरीद से लेकर रक्षा संबंधी हर सौदे की जांच 'कैग' से करायी जाए।
अतुल कुमार अंजान ने कहा कि रक्षा संबंधी खरीद के लिए इस बार बजट की राशि काफी बढ़ायी गयी है। परन्तु खरीद में पारदर्शिता का कभी ख्याल नहीं रखा जाता। सेना प्रमुख को 14 करोड़ रुपये की घूस आफर करने का मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई को रोकने में विफल तो साबित हो ही रही है, रेलवे में माल ढुलाई का भाड़ा बढ़ाकर महंगाई में और इजाफा करने में लगी है। जन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने की बजाय 'कैश सब्सिडी' की बात कर इसे बंद करने पर तुली है। 1993 से लेकर अबतक अवैध रूप से 289 कोल ब्लाक का आवंटन किया गया है। कैग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में 10.67 लाख करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात कही है। श्री फैजी ने कहा कि इन प्रस्तावों पर अबतक 14 राज्यों के 17 प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे हैं। शुक्रवार को इन राजनीतिक प्रस्तावों पर अंतिम रूप से फैसला लिया जाएगा।

Thursday 29 March, 2012

कम्युनिस्टों का राजनीतिक विकल्प बनने पर जोर


democratic left alliance to work together

पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [भाकपा] के महाधिवेशन के खुले सत्र में बुधवार को पांच बड़े वामपंथी दलों का शीर्ष नेतृत्व एक मंच पर जुटा। सभी ने कांग्रेस, भाजपा की गिरती साख और उनके कमजोर होने का हवाला देते हुए विकल्प बनने के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों की एकजुटता पर बल दिया। इस दौरान भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव एबी ब‌र्द्धन के नेतृत्व में वाम एकता का मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया गया।
खुले सत्र का उद्घाटन भाकपा महासचिव ब‌र्द्धन ने किया। जबकि माकपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश करात, भाकपा [माले] के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, फारवर्ड ब्लाक के राष्ट्रीय महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के राष्ट्रीय सचिव अबनी रॉय ने एकता पर अपना-अपना नजरिया पेश किया। सभी ने वाम एकता पर यह कहते हुए सहमति जतायी-'देश हमें सही विकल्प के रूप में देख रहा है।' प्रकाश करात ने कहा कि दो दशक पहले सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्वभर में पूंजीवाद के फतह की जो गूंज उठी थी, वह खामोश हो गई है। पिछले चार सालों से पूंजीवाद संकट में है। जैसी मंदी देखी जा रही है, वैसी 1930 में भी नहीं थी। लोग अब समाजवाद को ही नव-उदारवादी पूंजीवाद के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है।

Wednesday 28 March, 2012

रैली से हुई भाकपा महाधिवेशन की शुरुआत



भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के 21 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन की शुरुआत विशाल रैली से हुई। गांधी मैदान में कार्यकर्ता करीब नौ बजे ही अपने-अपने जिलों के बैनर के पीछे कतारबद्ध हो गये थे। रैली गांधी मैदान से निकलती रही है और कार्यकर्ता लाल झंडा हाथ में थामे गाजे बाजे के साथ आते रहे। भाकपा की रैली गांधी मैदान से करीब 12 बजे निकली। 21 घोड़ों पर लाल झंडा लिए जनसेवा दल का सबसे आगे चल रहे थे। उसके पीछे 21 मोटरसाइकिलों पर 63 लाल वर्दीधारी जवान मार्च कर रहे थे। इनके जन सेवा दल के कई टुकड़ियां मार्च कर रही थी, जिसमें एक हजार युवक और युवतियां थीं। रैली का नेतृत्व भाकपा के राष्ट्रीय उप महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अमजीत कौर, अतुल कुमार अंजान, गुरुदास दास गुप्ता, भाकपा के राज्य सचिव बद्रीनारायण लाल, पूर्व विधायक रामनरेश पांडेय, पूर्व विधान पाषर्द संजय कुमार सहित कई राष्ट्रीय नेताओं ने किया। इन नेताओं के पीछे-पीछे विभिन्न जिलों का जत्था मार्च कर रहा था। जन सेवा दल के जवान राज्य कमांडर चंदेरी प्रसाद सिंह और विद्या सिंह के नेतृत्व में पैदल मार्च कर रहे थे। वहीं पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह घोड़े पर सवाड़ जनसेवा दल के का नेतृत्व कर रहे थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एबी बर्धन ने पार्टी के 21 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन का झंडोत्तोलन किया। इस मौके पर जनसेवा दल के सैकड़ों युवक युवतियों ने झंडे की सलामी दी और 21 बम पटाखे भी फोड़े गये। महासचिव श्री बर्धन और राज्य सचिव बद्रीनारायण लाल ने 21 लाल गुब्बारे हवा में उड़ाये। इस मौके पर भाकपा के उप महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव डी राज, अतुल कुमार अंजान, अमरजीत कौर, सचिव मंडल सदस्य जितेंद्रनाथ, पूर्व विधायक रामनरेश पांडेय, राज्य कार्यकारिणी सदस्य चंदेरी प्रसाद सिंह आदि मौजूद थे। भाकपा नेताओं ने झंडोत्तोलन के बाद शहीद वेदी पर माल्यार्पण भी किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने रैली शुरू होने से पहले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों की प्रतिमा और शहीद स्मारकों पर माल्यापर्ण भी किया। इनमें वीर कुवंर सिंह, शहीस स्मारक, करगिल शहीदों की याद में बनाये गये शहीद स्मारक, पीर अली, शहीदे आजम भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा शामिल है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक मंगलवार को हुई। बैठक में 21 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के संचालन को लेकर योजना बनायी गयी। महाधिवेशन का संचालन 31 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी करेगी। साथ ही चार दिवसीय प्रतिनिधि सत्र की अध्यक्षता की जिम्मेवारी नौ सदस्यीय अध्यक्ष मंडली को दी गयी है। अध्यक्ष मंडल का संयोजक अमरजीत कौर को बनाया गया है।

रैली से हुई भाकपा महाधिवेशन की शुरुआत


Tuesday 27 March, 2012

भाकपा ने क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस व भाजपा से दूर रहे


पटना,  भाकपा ने क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस  भाजपा से दूर रहने की सलाह दी है।
गठबंधन राजनीति को वक्त का तकाजा बताते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एबी र्द्धन ने
मंगलवार को पटना में कहा कि देश में नए राजनीतिक समीकरण के लिए क्षेत्रीय पार्टियों को कांग्रेस एवं
भाजपा से दूर रहकर अपनी अलग पहचान बनानी चाहिए।
वे पूंजीवादी व्यवस्था एवं कारपोरेट घरानों से प्रभावित हुए बिना अपनी स्पष्ट आर्थिक नीति बनाएं,
उन्हें वाम दलों का साथ मिलेगा।
मंगलवार को पटना के गांधी मैदान में जनसभा के माध्यम से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 21 वें महाधिवेशन
की शुरुआत हुई। जनसभा में श्री र्द्धन ने कहा कि
'कांग्रेस-भाजपा ने सभी हथकंडे अपनाए, लेकिन पांच राज्यों में हुए चुनाव में जनता ने
दूसरी पार्टियों को पसंद किया। लोग इन्हें जात-पांत पर आधारित क्षेत्रीय दल कहते हैं।
मैं कहता हूं इन्हें कांग्रेस एवं भाजपा से हटकर अपनी अलग पहचान बनानी होगी।
इन्हें तय करना होगा कि मजदूरों-मेहनतकशों के साथ जाएंगे या कारपोरेट घराने-पूंजीवादी व्यवस्था के साथ रहेंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हु
उन्होंने कहा कि भाजपा जैसी फिरकापरस्त ताकतों के साथ रहने से कुछ हासिल नहीं होगा।
राज्य सरकार का बहुत तरक्की करने का दावा शेखचिल्ली के दावे जैसा है। विशेष राज्य के दर्जे की
मांग का हम समर्थन करते हैं, लेकिन इसके लिए जनता का भी सहयोग चाहिए।
उन्होंने कहा कि राजनीति वहां नहीं है जहां सोनिया गांधी हैं, या हाइकमान है।
राजनीति वहां है जहां लोग ज्वलंत मुद्दों को लेकर सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उस राजनीति से हमें जुड़ना होगा। छंटनी,
बेरोजगारी, खाद्य सुरक्षा, भ्रष्टाचार, जमीन आदि मुद्दों पर संघर्ष तेज होगा।
गोलियों और लाठियों का सामना भी करना होगा।
श्री र्द्धन ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा से इतर एक विकल्प तैयार करने की रणनीति महाधिवेशन में तय की जाएगी।
भाकपा इस पहल का नेतृत्व करेगी। अन्य वाम दलों से भी इस मुद्दों पर सहयोग एवं सलाह ली जाएगी।
जनसभा को पार्टी के उप हासचिव सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर,
अतुल कुमार अंजान और राज्य सचिव बद्री नारायण लाल ने भी संबोधित किया। मंच पर डी।राजा, गुरुदास गुप्ता,
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह सहित अनेक वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।

Thursday 22 March, 2012

कामरेड सी. के. चन्द्रप्पन दिवंगत



लखनऊ 22 मार्च। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सचिव एवं पार्टी की केरल
राज्य परिषद के सचिव कामरेड सी. के. चन्द्रप्पन का केरल की राजधानी स्थित तिरूअनन्तपुरम
अस्पताल में आज दोपहर में निधन हो गया। वे केवल 67 वर्ष के थे। उनके शव को जनता के
दर्शनार्थ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के केरल राज्य मुख्यालय पर रखा गया है, जहां से उसे
व्यालार ले जाया जायेगा जहां उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर में होगा।
कामरेड चन्द्रप्पन पुन्नप्रा व्यालार जनसंघर्ष के अप्रतिम योद्धा सी. के. कुमार पनिक्कर तथा
अम्मुकुट्टी की संतान थे जो अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गये थे। 11 नवम्बर 1936
को जन्मे कामरेड चन्द्रप्पन 1956 में आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के केरल
राज्य के अध्यक्ष चुने गये थे। बाद में वे आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईवाॅयएफ) तथा
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लम्बे समय तक रहे। वे तीन बार 1971, 1977
तथा 2004 में लोकसभा के सदस्य चुने गये तथा एक बार केरल विधान सभा के भी सदस्य रहे।
वनवासियों को वन उपजों का अधिकार देने वाले कानून को ड्राफ्ट करने में तथा उसे संसद में
पास करवाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा।
कामरेड चन्द्रप्पन की शुरूआती शिक्षा चेरथला और थिरूपुंथुरा में हुई। बाद में उन्होंने चित्तूर
राजकीय कालेज से स्नातक की उपाधि ली तथा परास्नातक स्तर की शिक्षा थिरूअनंतपुरम के
यूनिवर्सिटी कालेज में ग्रहण की।
उन्होंने बहुत कम उम्र में गोवा की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में हिस्सा लिया था। वे कई बार
जनता के लिए संघर्ष करते हुए गिरफ्तार किये गये और जेल भेज गये। जनसंघर्षों में उन्हें
दिल्ली की तिहाड़ तथा कोलकाता की रेजीडेंसी जेल में लम्बे समय तक रहना पड़ा।
1970 में वे भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के लिए चुने गये और लम्बे समय तक उसकी राष्ट्रीय
कार्यकारिणी और सचिव मंडल के सदस्य रहे। मृत्युपर्यन्त वे राष्ट्रीय परिषद के सचिव तथा केरल
के राज्य सचिव रहे। जनसंघर्षों के योद्धा कामरेड चन्द्रप्पन के निधन से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
को बड़ा आघात लगा है। उनकी मृत्यु से उत्पन्न शून्य को निकट भविष्य में भरा नहीं जा
सकेगा।
उनके निधन का समाचार मिलते ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय पर उनके
सम्मान में पार्टी का ध्वज झुका दिया गया। राज्य कार्यालय पर आयोजित एक शोक सभा में
भाकपा के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र, प्रदीप तिवारी, आशा मिश्रा, शमशेर बहादुर सिंह, मुख्तार
अहमद तथा ओ. पी. अवस्थी आदि ने उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।

Wednesday 14 March, 2012

पैरों से रौंदे जाते हैं आज़ादी के फूल -कार्ल मार्क्‍स



कार्ल मार्क् की बरसी पर उन्हें याद करते हुए लेनिन की एक कविता:


पैरों से रौंदे जाते हैं आज़ादी के फूल

पैरों से
रौंदे जाते हैं आज़ादी के फूल
और अधिक चटख रंगों में
फिर से खिलने के लिए।

जब भी बहता है
मेहनतकश का लहू सड़कों पर,
परचम और अधिक सुर्ख़रू
हो जाता है।

शहादतें इरादों को
फ़ौलाद बनाती हैं।
क्रान्तियाँ हारती हैं
परवान चढ़ने के लिए।

गिरे हुए परचम को
आगे बढ़कर उठा लेने वाले
हाथों की कमी नहीं होती।
- व्‍लीदिमीर इलीच लेनिन



-Shahid Akhtar

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