क्रांति के लिए उठे कदम
क्रांति के लिए जली मशाल
भूख के विरुद्ध भात के लिए
रात के विरुद्ध प्रात के लिए
मेहनती गरीब जात के लिए
हम लड़ेंगे हमने ली कसम - ३
छिन रही हैं आदमी की रोटियां
बिक रही हैं आदमी की बोटियाँ
किन्तु सेठ भर रहे है कोठियां
लूट का ये राज हो ख़तम - ३
गोलियों की गंध में घुटी हवा
हिंद जेल आग में तपा तवा
खद्दरी सफ़ेद कोढ़ की दवा
खून का स्वराज हो ख़तम - ३
जंग चाहते है आज जंगखोर
ताकि राज कर सकें हरामखोर
पर जवान है, जहान है कठोर
डालरों का जोर हो ख़तम - ३
तय है जीत मजूर की, किसान की
देश की, जहान की, अवाम की
खून से रंगे हुए निशान को
लिख गयी है मार्क्स की कलम - ३
Saturday 16 January, 2010
क्रांति के लिए (शंकर शैलेन्द्र)
Posted by Randhir Singh Suman at 5:24 pm
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